नतनएल ने उससे कहा, क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है? फिलेप्पुस ने उससे कहा, चलकर देख ले। यूहन्ना 1ः46
नथानिएल की ही तरह, आज भी बहुत से लोग शक और संदेह से भरे हुए है।
परन्तु इस बात का पूरा श्रेय नथानिएल को जाता हैं की वह यीशु के पास आया। उसने यीशु को यह साबित करने का मौका दिया की वह कौन है , जैसा फिलिपुस और अन्य लोग कह रहे थे।
हम केवल इसका अन्दाजा लगा सकते हैं कि वह क्या था जो यीशु ने नतनएल को अंजीर के पेड़ के तले करते देखा (व. 50) किन्तु यह स्पष्ट है कि वह ऐसा कुछ था जिसने शंकाओं से परे यह सिद्ध किया कि यीशु मसीहा थे। यीशु ने नतनएल को उसकी शंकाओं के लिए फटकारा नहीं; इसके बजाए, उसने उन्हें दूर किया।
यीशु जीवित वचन हैं, एवम् उसके शब्दों में प्रत्येक उस शंका का समाधान है जो हमारे अथवा किसी दुसरे व्यक्ति के मन में है जिससे हम मिले हो।
हमें उसके सम्मुख ईमानदार एवं निष्कपट होने की आवश्यकता है (व.47) और जब हमारा मन संदेह से भरा होता है, हमें उसके पास जाना चाहिए बजाय इसके के हम उससे दूर भागे अथवा उसकी अवहेलना करे।
यीशु जानते हैं कि हम जीवन में किन मुश्किलों से गुजरते हैं, और हमें समझतें हैं क्योंकि वह भी एक मनुष्य जीवन जी चुके हैं (भजन संहिता 103ः14)। शंका करना पाप नहीं है, किन्तु यदि हम उन शंकाओं को शरण दें, उनके साथ कभी परमेश्वर के पास नहीं जाए, एवम् अविश्वास को हमारे हृदय एवम् मनों में पकड़ बनाने दें, तब ये पाप बन जाता है।
आज नतनएल की तरह बनिये एवम् आपके विश्वास से सम्बन्धित किसी भी शंका को यीशु के पास लाइये। पवित्र आत्मा को उसके वचन से आपको सत्य सिखाने दीजिये। मैं गारन्टी देता हूँ कि आप परिवर्तित हो जायेंगे।